राजपुरा में, 2013 से 2016 के बीच पंजाब सरकार से सेवानिवृत्त हुए एक व्यक्ति के साथ धोखाधड़ी का गंभीर मामला सामने आया है। उनके सभी फर्जी खातों से 41 लाख रुपये निकाल लिए गए, लेकिन बैंक अब तक यह स्पष्ट करने में असमर्थ है कि इस धोखाधड़ी के पीछे कौन जिम्मेदार है। इस घटना के बाद से वह गहरे डिप्रेशन का शिकार हो गए हैं।
हाल ही में उनके खाते से 35,000 रुपये और निकाले गए। जब उनके बेटे ने ईकोर्ट सेवा की वेबसाइट पर मामले की स्थिति जानने की कोशिश की, तो कोई केस दर्ज होने की जानकारी नहीं मिली। इसका मतलब है कि अक्टूबर 2021 तक लगभग 15 लाख रुपये की ठगी हो चुकी है, जिसका लिखित हिसाब तक उपलब्ध नहीं है।
यह घटना राजपुरा में झूठे मुकदमों और धोखाधड़ी के नाम पर बड़े घोटाले की ओर इशारा करती है। इसके बावजूद, ठगी के इन मामलों के कोई पुख्ता सबूत नहीं होने के कारण अब तक अपराधियों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। ऐसे में जरूरी है कि पुलिस इस मामले को गंभीरता से लेकर, इन ठगों के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई करे और उन्हें सलाखों के पीछे पहुंचाए।
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